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Urological Cancers : Dr. Gyvi Gaurav

Q) कैंसर आखिर होता क्या है?

A) कैंसर, या कर्क रोग, शरीर की कुछ कोशिकाओं, अर्थात "cells", का विद्रोह होता है।

इंसान का शरीर एक सेना की टुकड़ी की तरह होता है और उसके समस्त "cells" उन सैनिकों की तरह जो उस टुकड़ी के सारे नियमों का पालन करते हुए संयम और नियंत्रण के साथ अनुशासन बनाए रखते हैं। जब कोई भी सैनिक अनुशासन और नियंत्रण को तोड़, केवल अपने हित के लिए उत्पात करने लगे तो उसे विद्रोह कहते हैं। उसी प्रकार, शरीर की कुछ कोशिकाएं या "cells", जब भी प्राकृतिक नियमों और अनुशासन को तोड़ कर, एक अलग रूप धारण कर गलत व्यवहार करने लगें तो उन्हे  केंसर cells कहते हैं।इसीलिए, कैंसर शरीर के कुछ अपने ही cells का, शरीर के ही खिलाफ एक विद्रोहके समान है

 

Q) क्या कैंसर का कोई इलाज संभव है?

A) यह कैंसर के stage पर निर्भर करता है–मतलब cancer की बीमारी का फ़ैलावा शरीर में कहाँ तक है?यदि हम अपनी "कैंसर—विद्रोह" की उपमा को आगे बढ़ाएं, तो विद्रोह जब तक कम सैनिकों तक सीमितहोतब तक उसका दमन किया जा सकता है। यदि वही भाव ज्यादातर सैनिकों में फैल चुका हो तो उसका नियंत्रण कठिन हो जाता है।

ठीक इसी प्रकारजब केवल कुछ ही सीमित cells मेंcancer की बीमारी हो तो उन cells या अंगो के समुचित उपचार से cancer का पूरा इलाज़ हो सकता है। ऐसी स्थिति में हमारी इलाज़ की मंशा (intentoftreatment) रोगनिवारक (अर्थात् curative) होती है– यानी रोग का समूल निवारण ।परंतु यही cancer अगर शरीर के ज़्यादा भागों में फैल जाए तो उसका इलाज कुछ कठिन हो जाता है।

 

Q)Urology में प्रमुख कौन कौन से cancer होते हैं?

A) ProstateCancer (गदूद का कैन्सर), BladderCancer (मूत्राशय यानी पेशाब कि थैली का कैन्सर), RenalCancer (गुर्दे का कैन्सर) और TesticularCancer (अंडकोश का कैन्सर)। इनके अलावा कुछ अन्य भी कैन्सर होते हैं जैसेAdrenalCancer, UretericCancerऔर UrethralCancer, पर उनकी तादाद बहुत सीमित होती है।

 

Q)ProstateCancerक्या होता है और इसका इलाज कैसे होता है?

A)Prostateकेवल पुरुषों में प्राप्त होने वाली एक ग्रंथि (Gland) होती है जिसका प्राकृतिक कार्य होता है वीर्य का एक अंश बनाना तथा पेशाब को असंयमित तरीक़े से बाहर ना निकलने देने में मांसपेशियों का सहयोग करना। इस ग्रंथि का निर्माण और वृद्धि, पुरुषों में ही पाए जाने वाले एक पदार्थ –Testosterone–के द्वारा होता है। सामान्यतः आयु बढ़ने के साथ इस ग्रंथि के आकार में भी बढ़ोतरी होती है, पर ज़्यादातर इस बढ़ोतरी के लिए उत्तरदायी कोशिकाओं (यानी cells) में अपनी प्राकृतिक झिल्ली(जिसे capsule कहते है) के बाहर जाने की क्षमता नहीं होती। ऐसी prostate की बढ़ोतरी को BenignProstateHypertrophyया BPH कहा जाता है।

जब कोशिकायें (Cells) किसी कारणवश इसी झिल्ली को तोड़ने की और उससे बाहर जाने की क्षमता प्राप्त कर लेती हैं तो उन्हें CancerCells कहा जाता है और यही ProstateCancerका प्रारंभ होता है।

ProstateCancer जब विकसित होने लगता है तो रक्त में ProstateSpecificAntigen यानी PSA नामक एक पदार्थ की मात्रा भी बढ़ने लगती है। इसे एक सरल रक्त जाँच से परखा जा सकता है।

Cancerके विकास की पहली स्टेज में CancerCells,Prostateग्रंथि के अंदर ही सीमित होते हैं (OrganConfined। इस परिस्थिति में शल्य क्रिया (यानी Operation) अथवा विकिरण चिकित्सा (Radiationtherapy)–कोई एक ही पद्धति– रोगनिवारक होने में कारगर सिद्ध हो सकती है।

अगली स्टेज में यही Cancer, Prostate की सीमाओं की बाहर निकल कर आस पास के निकटतम अंगों को प्रभावित करने लगता है (LocallyAdvanced)। इस stage में केवल एक पद्धति से समुचित इलाज सम्भव नहीं है।इस stageमें शल्य चिकित्सा (Surgery),विकिरण चिकित्सा (Radiation) तथा Testosteroneकम करने की चिकित्सा (AndrogenDeprivationTherapyADT) की पद्धतियों का क्रमबद्ध रूप में प्रयोग करने से ही इलाज सम्पूर्ण किया जा सकता है(Multi-modalityTreatment)।

यदि cancer और उसकी कोशिकाएँ (cells),रीढ़ की हड्डी, जिगर (Liver) या अन्यदूरस्थ अंगों-प्रत्यंगों तक फैल जाए तो उसे MetastaticCancerProstate कहा जाता है। ऐसे stage पर इलाज का प्रमुख उद्देश्य रोग से पैदा हो रहे लक्षणों को नियंत्रित करनातथा शरीर से testosterone पदार्थ की मात्रा करना होता है। इसमें शल्य चिकित्सा (Surgery) तथा विकिरण चिकित्सा (Radiation) की भूमिका बहुत ही सीमित होती है। इस stage में मुख्य योगदान ADT और उसके पश्चात Chemotherapyका ही होता है।

 

Q) क्या मूत्राशय कैन्सर (BladderCancer) भी ऐसा ही होता है? उसका इलाज कैसे किया जाता है?

A) मूत्राशय का कैन्सर Prostate के Cancer से भिन्न कारणों से बनता है। Urology में पाए जाने वाले सारे कर्क-रोगों में, तम्बाकू सेवन से सबसे गहरा सम्बंध मूत्राशय या BladderCancer का ही होता है। यह कैन्सर मूत्राशय की अंदरूनी सतह (जिसे Mucosa कहते हैं) से शुरू होता है। यह मुख्यतः दो प्रकार का होता है –HighGrade और LowGrade। यह विभाजन इन प्रकारों की आक्रामक-क्षमता (aggressiveness) के अनुसार किया जाता है –HighGrade ज़्यादा आक्रामक और LowGrade कम।इस कैन्सर के इलाज की शुरुआत TURBT नामक दूरबीन-विधि की शल्य-क्रिया से होती है। TURBT और अन्य जाँचोंकेसम्मिलित परिणाम (Histopathologyreport) से इस Cancer का Grade और स्टेज पता चलता है।LowGradeश्रेणी के BladderCancer को केवल TURBTऔर उसके बाद नियमित Check-up द्वारा ठीक किया जा सकता है। HighGrade श्रेणी के cancer में दोबारा होने की (यानी recurrence) और मूत्राशय की सतह को भेद कर उसके आगे फैलने की क्षमता (यानी progression)ज़्यादा होतीहै। यदि वह केवल अंदरूनी सतह तक पाया जाता है तो दोबारा TURBTऔर उसके बाद मूत्राशय में BCG नामक दवा नियमित रूप से डालने की आवश्यकता होती है। यदि यह Cancerअंदरूनी सतह के नीचे की मांसपेशी तक पहुँचा पाता जाता है तो इसके समुचित इलाज के लिए मूत्राशय को निकालनेके ऑपरेशन (RadicalCystectomy) और Chemotherapy की ज़रूरत पड़ती है।

 

Q) गुर्दे के कैन्सर में क्या होता है?

A) पारम्परिक तौर पर पेशाब में खून आना, शरीर के पार्श्व-भाग में सूजन, तथा दर्द, किड्नी के कैन्सर के लक्षण पाए जाते थे। आधुनिक चिकित्सा के युग में,यही cancer,काफ़ी लोगों में किसी और लक्षण के लिए किए गए Ultrasound में पता चल जाता है। किड्नी के cancerमें उपचार के पहले की biopsyकुछ ही सीमित परिस्थितियों में होती है। अधिकतर इसका इलाज imaging– यानी CT स्कैन के आधार पर ही किया जाता है। किड्नी के Cancer के उपचार में शल्य-क्रिया (Surgery) की मुख्यतम भूमिका होती है।और जिस भी परिस्थिति में हो मुमकिन हो, प्रयास हमेशा गुर्दे के अप्रभावित हिस्से को बचाने का किया जाता है(NephronSparingSurgery)। यदि ऐसा न मुमकिन हो तो पूरे गुर्दे को निकालने के ऑपरेशन की ज़रूरत पड़ती है। यह सारे ऑपरेशन अब बिना किसी बड़े चीरे के, दूरबीन द्वारा Laparoscopy से सरलता से किए जा सकते हैं। यदि किड्नी का आम cancer, शरीर के अन्य हिस्सों में फैल चुका हो (metastatic) तो इसमें पारम्परिक Chemotherapy की जगह एक विशिष्ट तरह की Immunotherapy की आवश्यकता होती है।

 

Q) अण्डकोश के कैन्सर के विषय में कुछ बताएँ?

A) अण्डकोश के कैन्सर की कुछ अनूठी विशेषताएँ होती हैं। जहां ज़्यादातर Cancer वृद्धावस्था के आस पास पाए जाते हैं, यह कैन्सर किशोरावस्था के आस पास ज़्यादा होता है। इस Cancer का यदि शक हो,तोअण्डकोश से NeedleBiopsyलगभग वर्जितहोती है। यह समस्त कर्क-रोगों में एक अकेला रोग है जिसमें केवल blood-test में कुछ ऐसे सटीक पदार्थ नापे जा सकते हैं (Tumor-Markers)जिससे इस रोग का निदान और निवारण सरलता से हो सकता है। इस रोग में शल्य-क्रिया (Operation), विकिरण-क्रिया और Chemotherapy, तीनों पद्धतियों का बराबर महत्व होता है। इस कैन्सर की विलक्षण बात यह भी है की यह एक अकेला कैन्सर है जिसका शरीर में फैला हुआ होने के बावजूद भी, पूर्ण रूप से निवारण कर पाना (Cure) संभव है।

 

Q) Cancer से सम्बंधित कुछ भ्रांतियाँ हैं। क्या उनका कोई खंडन करना चाहेंगे?

A) कैन्सर के सम्बंध में कई ऐसी भ्रांतियाँ हैं जो पूरी तरह बेबुनियाद हैं। इनकी वजह से रोगी अपना इलाज सही समय पर और है तरीक़े से नहीं कर पाते।

एक प्रचलित भ्रांति है की Biopsy करने से Cancer फैल जाता है और ऐसा कभी नहीं कराना चाहिए। यह बिल्कुल ग़लत बात है। Prostate और Bladder जैसे cancers में Biopsy इस तरीक़े से की जाती है कि उससे कैन्सर के फैलने की कोई सम्भावना नहीं होती।किड्नी और अण्डकोश के cancers में चिकित्सा के पूर्व की biopsy के कुछ सीमित विशिष्ट अंतर-राष्ट्रीय दिशा-निर्देश होते हैं। उन परिस्थितियों में इन Cancers में भी (जहां सामान्यतःचिकित्सा के पहले Biopsy नहीं करते) Biopsyकरना सुरक्षित होता है।

एक और ग़लतफ़हमी है कि ऑपरेशन करा लेने से Cancer और ज़्यादा फैल जाता है।

ऐसा बिल्कुल नहीं होता है। उचित ऑपरेशन बहुत सी जाँचों को करने के बाद पूरी सावधानी से किया जाता है और सर्जरी की वजह से कोई cancer आगे नहीं फैलता।

इसी से सम्बंधित एक और भ्रांति फैली हुई है कि दूरबीन की विधि से किए गए ऑपरेशन में पूरा कैन्सर नहीं निकलता और कुछ अंदर छूट जाता है। यह बात भी पूरी तरह निरर्थक है। किसी भी सही तरीक़े से किए गये दूरबीन के ऑपरेशन में सम्पूर्णता से सारी विधि पूर्ण की जाति है। बल्कि दूरबीन से किए गए ऑपरेशन मे बेहतर बढ़ी हुई दृष्टि और कम रक्त-स्त्राव (bleeding) की वजह से कैन्सर के सारे प्रभावित अंग और प्रभावी तरीक़े से निकाले जाते हैं।

एक और धारणा है की अगर Cancer हुआ तो जीवन समाप्त हो जाता है। यह बात भी सही नहीं है। हर कैन्सर काउचित तरीक़े से stage कर के, stageके मुताबिक़ उपचार देना होता है। इलाज और सामान्य जीवन पूर्णतया सम्भव है।

 

Q) कैन्सर से बचाव के क्या उपाय हैं?

A) उचित, संयमित जीवन शैली बनाए रखना, संतुलित आहार लेना, नियमित व्यायाम आदि को अपनी आदत बना लेना चाहिए। तम्बाकू और मदिरा जैसे मादक पदार्थों का सेवन त्याग देना चाहिए।

इन सामान्य विषयों के अलावा अपने परिवार की रोग सम्बन्धी जानकारी रखना भी अनिवार्य है। उदाहरण के लिए अगर आपके निकटतम सम्बन्धियों में (जैसे पिता, चाचा या दादा) में ProstateCancer होने का इतिहास है तो आपको विशेष रूप से prostratecancer के विषय में सचेत हो जाना चाहिए। आज की आधुनिक प्रणालियों से प्रभावित परिवारों के अन्य सदस्यों की GeneticTesting से cancer होने का सही अनुमान लगाया जा सकता है और उसके ज़्यादा विकसित होने के पहले ही उसका उपचार किया जा सकता है।

 इसके अलावा अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहते हुए, 40-45 वर्ष की आयु के बाद,चिकित्सक के परामर्श के अन्तर्गत अपना नियमित Check-up कराते रह सकते हैं। पुरुषों के लिए एक विशेष सलाह ProstateCancer के संदर्भ में यह है की 45-50 वर्ष की आयु के बाद, Urologist की निगरानी में अपना वार्षिक PSAtestकराने से पहले ही यह कैन्सर पता चल सकता है, जिस से इसके फैलने से पहले इसका इलाज हो सकता है।

आधुनिक युग में, Cancerके विरुद्ध अब हमारे तरकश में बहुत सी विधियों के तीर हैं। इससे इलाज सम्भव है, सफल है, और कैन्सर के पश्चातभी सार्थक, कष्टमुक्त जीवन जिया जा सकता है।

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